Friday, 24 February 2017

मैं विद्रोही नहीं हूँ

मैं विद्रोही नहीं हूँ बस अपने अधिकार चाहता हूँ। 
करता हूँ पूर्ण निष्ठा से कर्तव्यों का निर्वाहन, 
बस उसी का सरकार द्वारा प्रतिकार चाहता हूँ।
मैं विद्रोही नहीं हूँ बस अपने अधिकार चाहता हूँ।। 

करता हूँ ईमानदारी से हर नियम का पालन, 

अदा करता हूँ हर प्रकार का कर, 
इसीलिए संविधान निहित सभी अधिकार चाहता हूँ
 मैं विद्रोही नहीं हूँ बस अपने अधिकार चाहता हूँ।।

 मैं धर्म व जाति के भेदभाव रहित समाज चाहता हूँ, 

सदियों के सड़े गले रिवाजों से निजात चाहता हूँ। 
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा के शलावे से चिंतित हूँ, 
मैं स्वस्छ बहस का वातावरण चाहता हूँ। 
मैं विद्रोही नहीं हूँ बस अपने अधिकार चाहता हूँ।। 

यह लोकतन्त्र है या लूटतंत्र, समझ नहीं पाता हूँ, 

जहां हज़ारों करोड़ के कर्ज़दार घूमते विदेशों में, 
पर कुछ हज़ार के क़र्ज़ चुका पाने में असमर्थ  
गरीब किसानों को सल्फास चाटते या सूली पर टंगा पाता हूँ 
मैं विद्रोही नहीं हूँ बस अपने अधिकार चाहता हूँ।। 

समृद्धता प्रदर्शित करती चौड़ी-चौड़ी सड़कों पर,

भूख से बिलखते बच्चों को देखकर, 
उनका बर्बाद होता बचपन देखकर,
मैं सरकार से पूछना सवाल चाहता हूँ। 
मैं विद्रोही नहीं हूँ बस अपने अधिकार चाहता हूँ।।

- स्वर्ण दीप 

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