Wednesday 10 January 2018

बस_एक_दिन

बस_एक_दिन

ज़रा सोचिए अगर बस एक दिन,
दुनिया भर के सब  मेहनतकश,
किसान, मज़दूर व अन्य कामगर,
जो मगन रहते हैं दिन-रात,
पूरी निष्ठा से अपने-अपने कामों में,
हाड़तोड़ परिश्रम के उपरांत जो कमाते हैं,
परिवार के लिए दो वक्त की रोटी
व मेहनत के गुरूर से उपजी इज़्ज़त।
वो सब लोग, 
पेट की आग की परवाह न करते हुए,
मना कर दें काम करने से,
अपने-अपने उन मालिकों को, 
जिन्होंने मेहनत के नाम पर सीखा है बस,
पुरखों की अर्जित पूंजी से मुनाफा कमाना।
अगर, 
बस एक दिन पहिये जाम हो जाऐं,
छोटे-बड़े सभी कल कारखानों के,
पूरी दुनिया के इस कौने से उस कौने तक,
जो निर्माण करते हैं सूई से हवाई जहाज तक का।
दुनिया भर की स्थापित अर्थव्यवस्थायों की,
सच में चूलें हिल जाएं,
दो कौड़ी के दिखने वाले कामगार,
अगर सच में बस एक दिन काम करने न आएं।
शायद तब ही महलों में रहकर, 
किसान व मज़दूर के बारे फैसले लेने वालों को,
ज़्यादा नहीं पर कुछ तो उनकी कीमत समझ आये।।

© बोगल_सृजन

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