Sunday 20 May 2018

माँ_की_याद


चलो अच्छा है कि
कम से कम इक रोज़ ही सही,
अपनी-अपनी व्यस्ततायें छोड़कर,
माँ के निःस्वार्थ समर्पण को
याद करने का,
आज हम सभी को
क्या सुंदर मिला बहाना है।।

हमारे हर सुख-दुख में,
हमारे प्रेम में, हमारे गुस्से में,
जो चट्टान की तरह सदा खड़ी रही,
बिना किसी आशा के,
आज उसी माँ के हृदय से लगकर,
धन्यवाद करने का,
मिला हमें बहाना है।।

अपने ही जीवन की भागदौड़ में,
उनके आजीवन त्याग को भुलाकर,
जाने-अनजाने में,
आहत उन्हें करते हैं हम अक्सर,
आज ऐसे हर अपराध की
क्षमा माँगने का माँ से,
मिला हमें बहाना है।।

©स्वर्ण दीप बोगल

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