Sunday 10 December 2017

सफर जीवन का

सफर जीवन का

ये सफर ज़िन्दगी का,
माना मुश्किल तो है,
मगर चुनौतियों से भयभीत होकर,
सफर कोई भी बीच मझधार छोड़ना,
फिर भी बात बेहतर तो नहीं है।

ये भी मान लिया,
कि जीवन के सफर में सदा,
फूलों से सजी राहें तो न होंगी,
मगर हमसफ़र अच्छा हो अगर,
सफर कोई भी मुश्किल तो नहीं है।

कभी मंज़िल पाने को अथक प्रयास,
कभी उम्मीद टूट जाने पर लगे आघात,
नन्हीं सी खुशी पर जश्न कभी है,
ये उतार-चढ़ाव ही न हों अगर जीवन में,
तो भी इस सफर में कोई मज़ा नहीं है।

हाँ, ये भी माना कि 
समझौता करना पड़ता है कभी।
क्योंकि बुलन्दियाँ पाने के लिये,
कष्ट उठाना भी पड़ जाए जीवन में अगर,
तो शायद कोई बुरी बात नहीं है।।

No comments:

Post a Comment