दिल की आवाज़
चहुँ ओर फैले बेतहाशा शोर में भी,
जब बड़ी एकाग्रता के साथ
मैं अपने दिल की सुन रहा हूँ,
तो कोई अंतर नहीं अगर कोई कहे,
कि मैं बस किस्से-कहानियाँ बुन रहा हूँ।
जब इंसानियत बिक रही है कौड़ियों के भाव,
जब रिश्तों से अधिक मोल पैसों का है,
जब हर रिश्ते की बुनियाद मतलब है,
तो क्या बुरा है अपने ज़मीर की सुन कर,
मैं अगर किस्से-कहानियां ही बुन रहा हूँ।
माना धन संचित करने में ज़रा कच्चा हूँ,
झूठ, छल व फरेब समझने में खाता गच्चा हूँ,
फिर भी वंचितों के दुख, दर्द व पीड़ा समझ अगर मैं,
लिखने को प्रयासरत हूँ तो बुरा नहीं गर कोई ये कहे,
कि मैं बस किस्से-कहानियां बुन रहा हूँ।
कुछ अनोखा तो नहीं कर रहा हूँ,
अपने सामाजिक कर्तव्य पूरे न कर पाकर,
साधारण जनमानस की रोज़मर्रा की दिक़्क़तों,
उनकी चुनौतियों व उनके अधिकारों की बात कहते,
अगर मैं किस्से-कहानियां बुन रहा हूँ।।
- बोगल सृजन
चहुँ ओर फैले बेतहाशा शोर में भी,
जब बड़ी एकाग्रता के साथ
मैं अपने दिल की सुन रहा हूँ,
तो कोई अंतर नहीं अगर कोई कहे,
कि मैं बस किस्से-कहानियाँ बुन रहा हूँ।
जब इंसानियत बिक रही है कौड़ियों के भाव,
जब रिश्तों से अधिक मोल पैसों का है,
जब हर रिश्ते की बुनियाद मतलब है,
तो क्या बुरा है अपने ज़मीर की सुन कर,
मैं अगर किस्से-कहानियां ही बुन रहा हूँ।
माना धन संचित करने में ज़रा कच्चा हूँ,
झूठ, छल व फरेब समझने में खाता गच्चा हूँ,
फिर भी वंचितों के दुख, दर्द व पीड़ा समझ अगर मैं,
लिखने को प्रयासरत हूँ तो बुरा नहीं गर कोई ये कहे,
कि मैं बस किस्से-कहानियां बुन रहा हूँ।
कुछ अनोखा तो नहीं कर रहा हूँ,
अपने सामाजिक कर्तव्य पूरे न कर पाकर,
साधारण जनमानस की रोज़मर्रा की दिक़्क़तों,
उनकी चुनौतियों व उनके अधिकारों की बात कहते,
अगर मैं किस्से-कहानियां बुन रहा हूँ।।
- बोगल सृजन
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