सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें
क्यों पढ़ाई जाती हैं अबोध बालकों को,
सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें,
जब सच का मुखौटा पहने झूठ द्वारा,
सच्चाई को सर्रेआम बीच चौराहे,
हर रोज़ नीलाम किया जाता है।
क्यों पढ़ाई जाती हैं अबोध बालकों को,
सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें,
जब सड़क से लेकर सत्ता के गलियारों तक,
जीवन के हर इक कारोबार में,
झूठ, फरेब व धोखा ही नज़र आता है।
क्यों पढ़ाई जाती हैं अबोध बालकों को,
सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें,
जब सत्यनिष्ठा से कर्म करने वालों को,
अपनी सत्यता व निष्ठा साबित करते,
पूरा-पूरा जीवन बीत जाता है।
क्यों पढ़ाई जाती हैं अबोध बालकों को,
सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें,
जब सत्यनिष्ठों का जीवन कष्ट भरा,
व झूठे फरेबियों का जीवन सदा
आरामदायक व आनन्दमय नज़र आता है।
अब तो ये सोचता हूँ की क्यों नहीं पढ़ाई जाती,
अबोध बालकों को झूठ व फरेब की सच्चाई,
कि झूठ, फरेब व धोखाधड़ी की भी करें वो पढ़ाई,
क्योंकि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने को,
आखिर यही सब तो आज काम आता है।।
- बोगल सृजन
क्यों पढ़ाई जाती हैं अबोध बालकों को,
सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें,
जब सच का मुखौटा पहने झूठ द्वारा,
सच्चाई को सर्रेआम बीच चौराहे,
हर रोज़ नीलाम किया जाता है।
क्यों पढ़ाई जाती हैं अबोध बालकों को,
सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें,
जब सड़क से लेकर सत्ता के गलियारों तक,
जीवन के हर इक कारोबार में,
झूठ, फरेब व धोखा ही नज़र आता है।
क्यों पढ़ाई जाती हैं अबोध बालकों को,
सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें,
जब सत्यनिष्ठा से कर्म करने वालों को,
अपनी सत्यता व निष्ठा साबित करते,
पूरा-पूरा जीवन बीत जाता है।
क्यों पढ़ाई जाती हैं अबोध बालकों को,
सत्य व आदर्शवाद की खोखली बातें,
जब सत्यनिष्ठों का जीवन कष्ट भरा,
व झूठे फरेबियों का जीवन सदा
आरामदायक व आनन्दमय नज़र आता है।
अब तो ये सोचता हूँ की क्यों नहीं पढ़ाई जाती,
अबोध बालकों को झूठ व फरेब की सच्चाई,
कि झूठ, फरेब व धोखाधड़ी की भी करें वो पढ़ाई,
क्योंकि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने को,
आखिर यही सब तो आज काम आता है।।
- बोगल सृजन
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