Sunday 17 June 2018

कविता - दीवारों से बात करना


कभी-कभी अच्छा होता है,
दीवारों से बात करना,
क्योंकि वो धीरज से सुनती हैं,
हमारे दिल की हर छोटी-बड़ी बात,
बिना थके लगातार,
और बिना किसी बहाने के।

कभी अच्छा होता है,
दीवारों से बात करना,
क्योंकि वे हमारे हृदय में दबी,
बचकानी बातों का,
कोमल अहसासों का,
सर्रेआम मज़ाक तो नहीं बनाती।

हाँ, अच्छा ही होता है,
दीवारों से बात करना,
क्योंकि उनकी चुप्पी के बावजूद,
एक सच्चे मित्र की तरह,
वो हमें अपने दिल की आवाज़ को,
सुनने का मौका तो देती हैं।

माना एक मार्गदर्शक की तरह,
कोई राय नहीं दे सकती हमें,
फिर भी बहुत अच्छा है
दीवारों से बात करना,
क्योंकि वे हमे अपनी बुद्धि व विवेक से,
निर्णय लेने का अधिकार तो देती हैं।

©स्वर्ण दीप बोगल

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