Sunday 8 October 2017

दोष किसका??

दोष किसका??

चलिए मान ही लेते हैं कि
अंधेरे में घर से बाहर निकलना,
महिलाओं का अकेले में,
बिल्कुल ठीक बात नहीं है।

चलिए ये भी मान लेते हैं कि,
कुछ पश्चिमी परिधान पहनना महिलाओं का,
उकसाता है भोले-भाले मर्दों को,
इसलिए वो भी ठीक बात नहीं है।

चलो ये इल्ज़ाम भी मान ही लेते हैं कि,
धार्मिक स्थलों को छोड़कर महिलाओं का, 
क्लबों-पबों में दारू पीकर झूमना,
मर्दों को उकसाने वाली बात है।

मगर स्त्रियों की दिनचर्या तय करने वाले, 
महानुभाव ज़रा ये तो बता दें कि
दिन के उजाले में महिलाओं पे,
क्या कभी नहीं होते अत्याचार हैं??

स्त्रियों के वस्त्रों पर प्रश्न करने वाले ये भी बतायें
कि कैसे रुकेंगे स्त्रियों पर बढ़ते यौन हमले,
जब बुर्क़ा पहनने वाली महिलाएं व
दुधमुंही बच्चियां तक होती दरिंदगी का शिकार हैं।

खुद हर ऐब पाल स्त्रियों पर प्रश्न करने वाले,
ये क्यों नहीं समझ पाते कि
जब गंदगी अपनी सोच में, अपनी नज़र में है तो,
महिलाओं पे क्यों प्रश्न हज़ार हैं????

बोगल सृजन

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