Monday 30 October 2017

कैसी_नींद

कैसी नींद

किसी को यहाँ हिन्दू चाहिए,
तो किन्हीं को बस मुसलमान।
जाने किस नींद में जी रहे हैं हम,
कि भूल बैठे हैं कि हम हैं इंसान।

किसी के दर्द का हमें अहसास नहीं,
कैसे कठोर हो गये हैं नहीं पड़ता जान।
जाने किस नींद में जी रहे हैं हम,
कि भूल बैठे हैं कि हम हैं इंसान।

एकता-अखण्डता की यहाँ बस बातें होती,
और दिलों में बस घृणा है विद्यमान।
जाने किस नींद में जी रहे हैं हम,
कि भूल बैठे हैं कि हम हैं इंसान।

धार्मिक द्वेष का ऐसा चश्मा चढ़ा कि,
बच्चे, बूढे व कमजोरों की भी न रहती पहचान।
जाने किस नींद में जी रहे हैं हम,
कि भूल बैठे हैं कि हम हैं इंसान।

#बोगल_सृजन

1 comment:

  1. Day by day its getting worse...politicians playing dirty tricks with sentiments of common ppl nd befooling them...when will ppl understand ... 😏😏

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