प्रेम तो प्रेम है
ये लव जिहाद क्या बला है,
क्या किसी को समझाइये?
अगर पता चले आपको इस बारे में तो,
कृपया हमें अवश्य बतलाइये।
लव जिहाद नामक शब्दावली भी,
हिंदी भाषा में बहुत पुरानी नही है
कुछ वर्ष पीछे जाएं हम अगर,
इस शब्द की कोई निशानी नहीं है।
अंतर्धार्मिक विवाह होते सदियों से,
ये बात कोई अनजानी नहीं है,
कभी राजनैतिक गठबंधन तो कभी सिर्फ प्रेम,
पर ऐसी क्रूर परिभाषा की कोई निशानी नहीं है।
फिर क्यों साधारण जन मानस की
भावनाओं का बनाया जा रहा मज़ाक है,
वो करें अगर तो बस प्रेम है ये
हम करें अगर तो क्यों लव जिहाद है??
प्रेम तो एक बहुत पवित्र शह है
कृपया इसे धर्मों में न तौलिये,
राजनीति करने के लिए बहुत कुछ है
इसे प्रेम में तो न घोलिये।।
- बोगल सृजन
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