Tuesday 14 November 2017

बचपन

बचपन

चित चंचल और अठखेलियां
जब करने को होता था मन,
जब माँ-पापा की डाँट पर भी,
उपद्रव मचता था हर दम,
जब मासूमियत ही हावी थी
अपनी हर शरारत पर हर क्षण,
जब कुछ पैसे की कुल्फी भी
हमें कितनी खुशी दिलाती थी,
जब जमकर आपस में लड़ते थे,
फिर भी न था कोई बैर भरम,
बड़ा याद आता है मुझको अब,
बीत गया प्यारा बचपन।।

#बोगल_सृजन

2 comments:

  1. Really miss those childhood days...bachpan jaisee koi cheez nhn...

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  2. Really those were very good and memorable days.

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