Monday 27 November 2017

मेरी_निराश_कविताएं

मेरी_निराश_कविताएं

हाँ, विरोध हो सकता है,
मेरी निराश कविताओं का,
जो तथ्यों पर आधारित तो होती हैं,
मगर कागज़ी चकाचौंध से कहीं दूर,
समाज में फैली आर्थिक व सामाजिक,
विषमताओं की बात करती हैं।

हाँ, विरोध हो सकता है,
मेरी निराश कविताओं का,
जो अवसरवादिता का शिकार न होकर,
चहुँ ओर फैली खामोशी को तोड़,
अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो,
आवाज़ बुलंद करने की बात करती हैं।

हाँ, विरोध हो सकता है,
मेरी निराश कविताओं का,
जो ई०एम०आई० पे खरीदे सामान से, 
अपनी झूठी अमीरी जताते मध्यमवर्ग के,
खोखले दिखावे के अंदर बसे हुए,
आर्थिक दिवालियेपन की बात करती हैं।

नहीं फर्क पड़ता मुझे अगर विरोध हो,
मेरी निराश कविताओं का,
जो हर तरफ समृद्धि व खुशहाली न दिखा,
समाज के विभिन्न तबकों की ज़रूरत,
व उसके लिये ज़रूरी,
हर जद्दोजहद की बात करती हैं।

नहीं परवाह विरोध हो अगर,
मेरी निराश कविताओं का,
जो झूठ के इस भयंकर दौर में भी,
जनमानस में झूठी आशा न जगाकर,
हिम्मत, परिश्रम व लगन से काम करके,
स्वंय पर विश्वास करने की बात करती हैं।।

#बोगल_सृजन

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