Saturday 18 November 2017

खामोशी की आवाज़

खामोशी की आवाज़

बहुत अहम है ज़िन्दगी में बातचीत,
मैं मानता हूँ मगर फिर भी
मौन रहकर भी कभी बहुत बात होती है।

बहुत अहम है आपसी संवाद,
एक दूसरे को समझ पाने के लिए मगर,
कभी खामोशी ही बहुत कुछ कह जाती है।

माना मुश्किल होगा दर्द बयाँ करना बिन बोले,
मगर जो दर्द पढ़ ही न पाया आँखों से,
उसको दिल की बात क्या ख़ाक सुनाई जाती है?

मैंने कसम नहीं खायी मौन रहने की मगर,
खामोशी में कभी-कभी आवाज़,
आवाज़ से अधिक बुलंद सुनाई जाती है।

- बोगल सृजन

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