Friday 20 April 2018

लघु कथा - चरित्रहीन


नंदिनी के पति एक एक्सीडेंट में कुछ समय पहले गुज़र गए। कोई सरकारी नौकरी नहीं थी तो भरी जवानी में छोटे-छोटे बच्चों का बोझ नंदिनी पर आ गया।

वो बहुत पढ़ी-लिखी भी नहीं थी सो बहुत दिन काम न मिलने पर न चाहते हुए भी घर की मजबूरी देखते उसने एक क्लब में बार टेंडर की नौकरी कर ली।

इस पर मोहल्ले की नुक्कड़ पे बैठने वाले निठल्लों ने नंदिनी के चरित्र पर टीका-टिप्पणी शुरू कर दी और एक दिन रास्ता रोक कर उसे बोलने लगे कि उसे ऐसा काम शोभा नहीं देता। इसपर नंदिनी ने पलट कर कहा कि मेहनत से काम करके अपने बच्चों का पेट पाल रही हूँ उस पर प्रश्न करने वाले तुम लोग होते कौन हो? वैसे भी मेरे चरित्र पर प्रश्न करने का अधिकार तुम्हें किसने दिया? 

- स्वर्ण दीप बोगल 

No comments:

Post a Comment