Sunday 8 April 2018

कविता

सुंदरता

मैं भलीभांति समझता हूँ
दृष्टिहीनों के जीवन की चुनौतियों को,
उनकी बेरंग दुनिया की सच्चाई को,
मगर फिर भी
कभी-कभी सुंदर प्रतीत होती है,
दृष्टिहीनों की अंधेरी दुनिया भी,
क्योंकि उनके लिये
किसी मनुष्य की सुंदरता का पैमाना,
तीखे नैन-नक्श या
गौरे बदन की भ्रामकता न होकर,
किसी का सुंदर मन होता है।
क्योंकि वे अपनी मन की आँखों से,
शारीरिक सुंदरता के स्थान पर,
मानसिक सुंदरता को पहचान पाते हैं,
जो हम लेखों में, कविताओं में,
व्याख्यानों में, कागजों, किताब में,
अक्सर पढ़कर भी समझ नहीं पाए।।


- स्वर्ण_दीप_बोगल

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