जानवर से इंसान होने का सफर,
जो तय किया था हमने,
लाखों वर्षों के अंतराल के बाद,
वो मानसिक तौर पर न होकर,
शायद सिर्फ शारिरिक ही होगा।।
वरना फूल सी नन्ही बच्चियों को देख,
जिसके भी कठोर हृदय में,
प्रेम की कोमल भावना के स्थान पर,
हैवानियत व हवस तांडव करे
वो इंसानियत को शर्मसार करने वाला
वहशी जानवर ही होगा।।
यौन उत्पीड़न के नाम से भी अनजान,
फूल सी असहयाय बच्ची का
दर्दनाक क्रंदन सुनकर भी,
दर्द भरी पुकार सुनकर भी,
जिसका कलेजा नहीं फटा,
वो तो अवश्य ही इंसान नहीं,
वहशी जानवर ही होगा।।
© स्वर्ण दीप बोगल
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