हम अक्सर समझते है कि
चीजों को देखने का हमारा नज़रिया,
एकदम भिन्न पर सबसे सही होता है।
मगर फिर भी कभी-कभी,
उन्हीं चीजों को दूसरों के नज़रिए से देखें,
तो हमारा इरादा बदल सकता है।।
हम अक्सर समझते हैं कि
बुद्धि व विवेक से लिया हमारा हर फैसला,
सबसे बढ़िया व सटीक होता है।
मगर फिर भी कभी-कभी,
हमारे पद या आयु में छोटों का मशवरा भी,
हमारा विवेकपूर्ण फैसला बदल सकता है।।
हम सभी अक्सर अपने फैसले,
किसी दूसरे पर थोप देते हैं,
बिना सोचे कि उसपर क्या प्रभाव पड़ता है।
मगर ऐसा करने से पहले स्वयं को,
उस व्यक्ति के स्थान पर रखकर देखने से,
शायद हमारा इरादा बदल सकता है।।
©स्वर्ण दीप बोगल
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