Sunday 25 March 2018

काश! #कुछ_हालात_बदलें।

ये आलम बदले, माहौल बदले,
कोई किसी को हिन्दू न समझे,
न किसी को मुसलमान समझे,
नफ़रतें भुलाकर प्रेम से हम,
इक-दूजे को बस इंसान समझें,
काश! ऐसे कुछ हालात बदलें।

सड़क किनारे कूड़े के ढेर से,
खाली बोतल, प्लास्टिक छांटते,
नन्हे-नन्हे बच्चों के हालात बदलें,
गरीबी-भुखमरी व चोरी का हाल सुनाते,
कभी तो ये अखबार बदलें।
काश! ऐसे कुछ हालात बदलें।

जात-पात का भेद भुलाएं,
रंग-रूप, भेष-भूषा व ऊँच-नीच छोड़,
सबको जब एक समान समझें,
थोड़ा मैं बदलूँ, थोड़ा सा आप बदलें,
शायद तब ही देश समाज बदले।
काश! ऐसे कुछ हालात बदलें।

- बोगल_सृजन

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