एक कवि बनने के लिये,
भारी-भरकम शब्दावली संग,
लयबद्ध तरीके से,
शब्द कुछ खास चुनने के लिए,
कुछ वक्त तो लगता है।
प्यार के उस ख़ास अहसास को,
छंद को या अलंकार को,
हृदय की कोमल सम्वेदनाओं को,
कागज़ पर उतारने के लिए,
कुछ वक्त तो लगता है।।
मगर बिना छंद, अलंकार के,
साधारण जनमानस के दुख-दर्द को,
उनकी समस्याओं व चुनोतियों को,
महसूस कर शब्दों में पिरोकर,
जलधारा सा प्रवाहित करने के लिये,
बस मानवीय अहसास लगता है।
कोरी कल्पनाओं को छोड़,
बस समाज से प्रेरित होकर,
जन-जन के अधिकारों की बात करती,
ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की बात करती,
ऐसी कोई कविता लिखने के लिए,
कहाँ कुछ खास लगता है,
हाँ, बस मानवीय अहसास लगता है।
कविता के लिए कहां कुछ खास लगता है।।
#बोगल_सृजन
भारी-भरकम शब्दावली संग,
लयबद्ध तरीके से,
शब्द कुछ खास चुनने के लिए,
कुछ वक्त तो लगता है।
प्यार के उस ख़ास अहसास को,
छंद को या अलंकार को,
हृदय की कोमल सम्वेदनाओं को,
कागज़ पर उतारने के लिए,
कुछ वक्त तो लगता है।।
मगर बिना छंद, अलंकार के,
साधारण जनमानस के दुख-दर्द को,
उनकी समस्याओं व चुनोतियों को,
महसूस कर शब्दों में पिरोकर,
जलधारा सा प्रवाहित करने के लिये,
बस मानवीय अहसास लगता है।
कोरी कल्पनाओं को छोड़,
बस समाज से प्रेरित होकर,
जन-जन के अधिकारों की बात करती,
ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की बात करती,
ऐसी कोई कविता लिखने के लिए,
कहाँ कुछ खास लगता है,
हाँ, बस मानवीय अहसास लगता है।
कविता के लिए कहां कुछ खास लगता है।।
#बोगल_सृजन
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