कविता
हम जानवर नहीं इंसान हैं
भूख प्यास और धूप छाओं
उनको भी लगती है हमारी तरह
मगर फिर भी
वो जानवर और हम इंसान हैं
भूख प्यास और सांस लेना हमारा
पशुओं से मिलता तो है मगर
हमारी समझ और संयम ही तय करते है
की वो जानवर और हम इंसान हैं
वैसे तो हर अच्छी वस्तु हमें चाहिए
खाने पीने और उपयोग के लिए
पर नहीं चलाते हम जंगल का कानून
उन्हें पाने के लिए
क्योंकि हम जानवर नहीं इंसान हैं
पर अब लालच की पट्टी चढ़ा ली है हमने
मैं और मेरे का बोलबाला है
जिसकी लाठी उसकी भैंस अपनाकर
भूल बैठे हैं कि हम जानवर नहीं इंसान हैं
- स्वर्ण दीप
Good one
ReplyDeletecchhaa rahe ho swarn Deep....start compiling....put them on some competition..online...we will vote for you...def..
ReplyDelete