Saturday 20 May 2017

हम जानवर नहीं इंसान हैं

कविता

हम जानवर नहीं इंसान हैं

वैसे तो पशुओं में भी प्राण हैं
भूख प्यास और धूप छाओं
उनको भी लगती है हमारी तरह
मगर फिर भी 
वो जानवर और हम इंसान हैं

भूख प्यास और सांस लेना हमारा
पशुओं से मिलता तो है मगर
हमारी समझ और संयम ही तय करते है
की वो जानवर और हम इंसान हैं

वैसे तो हर अच्छी वस्तु हमें चाहिए
खाने पीने और उपयोग के लिए
पर नहीं चलाते हम जंगल का कानून 
उन्हें पाने के लिए 
क्योंकि हम जानवर नहीं इंसान हैं

पर अब लालच की पट्टी चढ़ा ली है हमने
मैं और मेरे का बोलबाला है
जिसकी लाठी उसकी भैंस अपनाकर 
भूल बैठे हैं कि हम जानवर नहीं इंसान हैं

- स्वर्ण दीप







2 comments:

  1. cchhaa rahe ho swarn Deep....start compiling....put them on some competition..online...we will vote for you...def..

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