Monday 5 June 2017

कविता - कर्तव्य और अधिकार

कविता 

कर्तव्य और अधिकार 

बच्चे को माँ बाप से, 
तो विद्यार्थी को अध्यापक से,
चाहिए अपने अधिकार। 

भँवरे को पुष्पों से रस लेने का,
तो पंशियों को नभ में उन्मुक्त उड़ने को,
चाहिए अपने अधिकार। 

पत्नी को अपने पति से,
तो बहु को ससुराल से,
चाहिए अपने अधिकार।

कर्मचारी को प्रशासन से,
तो नागरिकों तो सरकारों से,
चाहिए अपने अधिकार।

किसी को पढ़ने का, 
तो किसी को स्वतंत्रता से बात रखने को, 
चाहिए अपने अधिकार।

मैं यह मानता हूँ कि 
बिना राग द्वेष, रंग रूप, जात पात व धर्म के 
समाज के हर प्राणी को 
मिलने चाहिए अपने मूलभूत अधिकार।

मगर बात सोचने की ज़रूर है 
कि क्या उन अधिकारों को पाने के लिए 
नहीं चाहिए कर्तव्यों का आधार।

- स्वर्ण दीप बोगल 

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