Monday 19 June 2017

कविता - वक़्त नहीं है

कविता - वक़्त नहीं है 

बड़ा व्यस्त हूँ मैं अपनी रोज़ मर्रा की भाग-दौड़ में,
इसलिए माफ़ करना ऐ ज़िन्दगी,
नफ़रतें पालने का मेरे पास वक़्त नहीं है 
कुछ कार्यक्षेत्र की मसरूफियतें हैं 
तो कुछ परेशानियां घरेलु भी हैं 
इसलिए माफ़ करना ऐ ज़िन्दगी,
नफ़रतें पालने का मेरे पास वक़्त नहीं है 

अपनी निजी व्यस्तताओं को छोड़ 
कुछ जिम्मेदारियाँ सामाजिक भी हैं 
क्योंकि माहौल भी कुछ अराजक सा है 
इसलिए माफ़ करना ऐ ज़िन्दगी,
नफ़रतें पालने का मेरे पास वक़्त नहीं है 

गर बाँटूंगा नफ़रतें 
तो न मिलेंगे बदले में प्यार के फूल
नफरत का मैल अपने दिल में रखने की 
क्यों करूँ मैं भूल 
इसलिए माफ़ करना ऐ ज़िन्दगी,
नफ़रतें पालने का मेरे पास वक़्त नहीं है 

- स्वर्ण दीप बोगल 

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