Tuesday 29 August 2017

तालाब_सी_स्थिरता

#तालाब_सी_स्थिरता

तालाब के ठहरे पानी सी,
ताज के ऊँचे खड़े-खड़े,
सदियों से पड़े मीनारों सी,
डल के चार-चिनारों सी,
स्थिरता चाहूं मैं जीवन में,
न चाहूँ भागा-दौड़ी सी

स्थिरता की चाह भी कुछ हद तक,
जीवन में लगे ज़रूरी सी,
पर तालाबों के स्थिर पानी सी,
जीवन में दुर्गंध न हो।
और बरसातों के पानी सा फिर,
पुनः ऊर्जा का संचार भी हो।

#स्वर्ण_दीप_बोगल

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