अंधभक्ति की आग
ये कैसी अंध भक्ति है
ये कैसा कर रहे शोर हैं
कानून को लेकर हाथ में,
चीखो-पुकार का बनाया माहौल है।
अपने गुरु के नक्शे-कदम पे
ये तो अच्छी तरह चल रहै हैं
कानून की न कर जो परवाह
बनकर गुंडे आगज़नी कर रहे हैं।
शिष्यों से सभ्यता की न करें भूल,
जब गुरु को न थी कभी किसी जान की परवाह
औरतों की आबरू से जो खेलता रहा
सत्ता के गलियारों व ताकत के नशे होकर चूर।
-स्वर्ण दीप बोगल
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