Friday 4 August 2017

कविता - सुंदरता की प्रशंसा ?

कविता - सुंदरता की प्रशंसा ?


मोटरसाइकिल चलाते हुए
पीछे मुड़-मुड़कर
राह में चलती लड़की को घूरते
एक मित्र को बोला मैंने
कि ध्यान कहाँ है भाई तुम्हारा
टकरा जाए न कोई बेचारा
तो वह बोला
कि सुंदरता के प्रेमी हैं
चीज़ सुंदर अगर दिख जाए तो
तो उसे निहारने में क्या जाता हमारा

बोल तो उसको कुछ नहीं पाया
उस समय क्योंकि
कुछ जल्दी दफ्तर पहुंचने की थी
और कुछ द्वंद आंतरिक भी था
मगर फिर भी 
घटना वो मुझको सताती रही
मानसिकता हम पुरुषों की
स्त्रियों को इंसान न जानकर
बस एक चीज़ मानने की 
अंदर ही मुझको जलाती रही

ये घटना जो बस इक किस्सा है
हमारी बहन बेटियों की 
जीवनचर्या का अटूट हिस्सा है
अपनी बेटियों की उम्र की
बच्चियों को ताड़ने वाले
क्यों भूल जाते हैं 
कि, बहन बेटियां उनकी भी
उन जैसों की ही शिकार हैं
फिर जब बात उनपर आती है
तो फिर क्यों मचाते हाहाकार हैं

- स्वर्ण दीप बोगल

2 comments:

  1. Sab kyun nhn sochte aisa...proud of you...too good....this world need ppl like you....nd writers like you too...bless u dear...nd keep growing...

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  2. Thanks for ur words. Don't know till when I will be able to write but one thing is for sure no one can change my way of looking world

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