#कविता - #रक्षाबंधन
रक्षा सूत्र तो जानू मैं ना
इस डोरी में है प्रेम तुम्हारा
बचपन की नटखट यादों को
फिर ताज़ा करने का
शायद ये भी एक सहारा
भाई-बहन के प्रेम को समर्पित
रक्षाबंधन का त्यौहार ये प्यारा
रक्षा की क्यों बात तुम्हारी
जब आत्मविश्वास से परिपूर्ण
हो आत्मनिर्भर तुम
न हो कोई अबला नारी
अकेले सड़कों पर चलती
हर बहन को गर सम्मान मिल पाए
तो सफल रक्षाबंधन की अपनी तैयारी
रक्षा क्या मैं करूँ तुम्हारी
न मैं भी कोई शहंशाह भारी
पर इक प्रण रक्षाबंधन पर
लेता हूँ मैं खातिर तुम्हारी
महिला समान अधिकार की
लम्बी जंग में रहेगी
पूरी भागीदारी हमारी
#स्वर्ण #दीप #बोगल
रक्षा सूत्र तो जानू मैं ना
इस डोरी में है प्रेम तुम्हारा
बचपन की नटखट यादों को
फिर ताज़ा करने का
शायद ये भी एक सहारा
भाई-बहन के प्रेम को समर्पित
रक्षाबंधन का त्यौहार ये प्यारा
रक्षा की क्यों बात तुम्हारी
जब आत्मविश्वास से परिपूर्ण
हो आत्मनिर्भर तुम
न हो कोई अबला नारी
अकेले सड़कों पर चलती
हर बहन को गर सम्मान मिल पाए
तो सफल रक्षाबंधन की अपनी तैयारी
रक्षा क्या मैं करूँ तुम्हारी
न मैं भी कोई शहंशाह भारी
पर इक प्रण रक्षाबंधन पर
लेता हूँ मैं खातिर तुम्हारी
महिला समान अधिकार की
लम्बी जंग में रहेगी
पूरी भागीदारी हमारी
#स्वर्ण #दीप #बोगल
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